71 लाख का स्टांप घोटाला, असिस्टेंट पोस्टमास्टर और पोस्टल असिस्टेंट पर सीबीआई में केस

71 लाख का स्टांप घाेटाला, असिस्टेंट पाेस्टमास्टर और पाेस्टल असिस्टेंट पर सीबीआई में केस


सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ धाेखाधड़ी और गबन का केस दर्ज किया है।


डाकघर में जमा चेक से ही दाेबारा स्टांप खरीदकर बाजार में बेच देते थे कर्मचारीडाक विभाग के बुक नाउ पे लेटर (बीएनपीएल) स्कीम की आड़ में की गड़बड़ी



रांची प्रधान डाकघर डोरंडा में 71.03 लाख रुपए का स्टांप घोटाला सामने आया है। इस संबंध में सीबीआई (एसीबी) ने डाकघर के असिस्टेंट पाेस्टमास्टर राजेश कुमार और पाेस्टल असिस्टेंट अजय कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ धाेखाधड़ी और गबन का केस दर्ज किया है।


सीबीआई ने मौखिक सूचना के आधार पर इसकी जांच शुरू की थी, जिसमें इन दाेनाें काे मुख्य साजिशकर्ता पाया गया। इसके बाद सीबीआई ने केस (आरसी-08,ए,2019,आर) दर्ज किया। घाेटाले में विभाग के कई वरीय अफसराें के शामिल हाेने की भी आशंका जताई गई है।सीबीआई के अनुसार राजेश कुमार और अजय कुमार श्रीवास्तव ने वर्ष 2011 से 2018 के बीच स्टांप घोटाले को अंजाम दिया। इन दोनों ने मिलकर डाक विभाग के बुक नाउ पे लेटर (बीएनपीएल) स्कीम की आड़ में लाखाें के स्टांप बाजार में बेच दिए।


ऐसे किया घोटाला


राजेश कुमार और अजय कुमार श्रीवास्तव ने बुक नाउ पे लेटर (बीएनपीएल) के तहत कंपनियों से मिलने वाले चेक काे क्लीयरेंस से पहले डाकघर के काउंटर पर जमा कर स्टांप ले लेते थे और उसे खुले बाजार में बेच देते थे। फिर यही चेक उस स्कीम के तहत डाकघर में जमा हाे जाता था। इससे डाकघर काे आय की बजाय नुकसान हाे रहा था।


एडवांस चेक देते हैं बीएनपीएल मेंबर


डाक विभाग द्वारा ज्यादा डाक भेजने और ज्यादा राशि के स्टांप खरीदारों को रांची जीपीओ की अनुमति से बीएनपीएल स्कीम के तहत मेंबर बनाया जाता है। मेंबर्स को पोस्ट ऑफिस से बारकोड या स्टांप जारी होता है। उसी बारकोड के आधार पर मेंबर्स अपना डाक जारी करते हैं। 15 दिनों के बाद जारी डाक की एवज में चेक के माध्यम से पोस्ट ऑफिस को भुगतान करते हैं या एडवांस में चेक देते हैं।


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