भारतीय स्टेट बैंक ब्रांच कॉड 30092 में नहीं हैं सुविधाएं, स्टाफ की कमी के कारण परेशान हो रहे हैं उपभोक्ता चेयरमैन को लिखा पत्र, पीएफएमएस की सेवा भगवान भरोसे

भारतीय स्टेट बैंक ब्रांच कॉड 30092 में नहीं हैं सुविधाएं, स्टाफ की कमी के कारण परेशान हो रहे हैं उपभोक्ता चेयरमैन को लिखा पत्र, पीएफएमएस की सेवा भगवान भरोसे


जौरा क्षेत्र की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 30092 शाखा में ग्राहकों के लिए सुविधाओं का अभाव है। राष्ट्रीयकृत बैंक की इस शाखा में आसपास के करीब 100 गांव जुड़े हुए हैं। बैंक में रोजाना हजारों ग्राहक लेन देन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन बैंक में सुविधाएं नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी होती है। एसबीआई की 30092 शाखा में ग्राहकों के खड़े होने के लिए 5 गुणा 10 की जगह है। इस छोटी सी जगह में रोजाना आसपास के करीब 100 गांव के हजारों लोग पहुंचते हैं। इस दौरान लोगों को बैंक में भुगतान, जमा व बैंक की अन्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए परेशानी होती है। 


बैंक में पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण उमस भरी भीषण गर्मी में लोग पानी के लिए परेशान होते रहे। बैंक में एक वॉटर कूलर लगा है जो बैंक के स्ट्रांग रूम के पास रखा होने के कारण ग्राहकों को उसका लाभ नहीं मिल पाता है। 


वहीं बैंक के नियमों की जानकारी नहीं होने पर ग्राहक बैंक कर्मियों से पूछताछ करते हैं तो बैंक के कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। बैंक में स्टाफ की कमी पहले से ही है। ऐसे में किसी कर्मचारी के अवकाश पर जाने की स्थिति के कारण कुछ मिनटों में होने वाला काम कई दिनों में हो पाता है। 


फिंगर प्रिंट नहीं आने से हो रहे परेशान : एसबीआई 30092 शाखा ने भीड़ से बचने के लिए दस हजार से कम राशि का भुगतान करने के लिए ग्राहक सेवा केंद्रों को अधिकृत किया है। पेंशन की राशि 300 से 500 रुपए प्रतिमाह है। ऐसे में हितग्राहियों को भुगतान के लिए ग्राहक सेवा केंद्रों पर जाना पड़ता है। जहां फिंगर प्रिंट नहीं आने पर वरिष्ठ लोगों को पेंशन नहीं मिल पाती है। 


नियमों की पेचीदगी के कारण परेशान हो रहे पेंशनर 


बैंक में आए इन वृद्धों को बैंक में इज्जत से बिठाना तो दूर पेयजल भी उपलब्ध नहीं कराया जाता। सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा वृद्धों, विधवा महिलाएं और दिव्यांग लोगों को जीवन यापन के लिए मासिक पेंशन दी जाती है। पेंशन पाने के लिए खाताधारकों को बैंक में कोई सहारा नहीं है जनपद पंचायत द्वारा पेंशन पाने वाले लोगों के स्वीकृति आवेदन में राष्ट्रीयकृत बैंकों के खाते नंबर मांगे जाते हैं। पंचायत अधिनियम में स्पष्ट किया गया है कि पेंशनर की सुविधा का ध्यान रखते हुए पेंशन का वितरण किया जाना चाहिए। किंतु बैंक कर्मियों की हठधर्मिता के कारण हजारों लोग पेंशन के लिए एकमात्र राष्ट्रीयकृत बैंक में अपना खाता खुलवाते हैं। कुछ ग्राहकों ने बताया कि उसकी पेंशन स्वीकृत हो गई है। ग्राहक सेवा केंद्र पर फिंगरप्रिंट नहीं आते हैं और शाखा में खाता खुलवाने के लिए  रुपए और पेनकार्ड चाहिए। इन नियमों के कारण वह भीख मांगने मजबूर है। 


पीएफएमएस की सेवा भारतीय स्टेट बैंक ब्रान्च कॉड 30092 में भगवान भरोसे



जौरा के बैंक में पीएफएमएस की बात की जाये तो बैंक में ये सेवा भगवान भरोसे है ये योजना अब जी का जनजाल हो गई है बैंक में 7-7 दिनों तक खाते में भुगतान नही हो पाता है जिस के लियेे भारतीय स्टेट बेेेक के चेयरमेन को जौरा के ग्राहक ने पत्र लिख कर बताया है की बैंक मैनेजर की अनुपस्थिति में 10-10 दिन तक इस योजना का लाभ ग्राहकों को नही मिल पाता है जिस से ग्राहकों का पैसा अटका रहता है जबकि सरकार प्रत्येक व्यक्तियों से लेकर वेंडर को भुगतान पब्लिक फाइनैंशियल मैंनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के जरिए होगा। विकास कार्यों में फर्जी मजदूर दिखाकर चेक के जरिए पैसा निकाल लिया जाता है। जबकि असल में जिस मजदूर को भुगतान करने का ब्योरा दिया जाता था वो होता ही नहीं था। पीएफएमएस के जरिए भुगतान से ऐसे मामलों पर काफी हद तक अंकुश लगने का दावा किया जा रहा है।


असरदार साबित होंगे ये आदेश लेकिन बैंक से अटके


केंद्र सरकार निदेशालय सभी सरकारी कार्यालय की सारी विवरणी को पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) पर इंट्री करा रहे है सभी सरकारी कार्यालय इसके अंदर उनके स्कूल एवं रसोइया, विद्यालय शिक्षा समिति के खाते का विवरण ऑनलाइन पीएफएमएस साइट पर इंट्री कराया जाना जरुरी है जिस से उनको मिलने वाली निधी सीधे हितग्राही के खाते में आ जाएगी। लेकिन बैंक मैनेजर से ये योजना का लाभ जल्दी नही मिल पाता है


पीएफएमएस को 2009 के दौरान योजना आयोग की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य सरकार के तहत जारी धन को ट्रैक करना था। योजना के कार्यान्वयन के सभी स्तरों पर व्यय की योजना और वास्तविक समय की रिपोर्टिंग। कुछ वर्षों के बाद, वर्ष 2013 में योजना और गैर-योजना दोनों योजनाओं के तहत लाभार्थियों को सीधे भुगतान को कवर करने के लिए दायरा चौड़ा किया गया था। 2014 के अंत में, यह योजना बनाई गई थी कि पीएफएमएस खातों का डिजिटलीकरण करेंगे और विभिन्न चरणों में  पीएफएमएस में अतिरिक्त सुविधाएँ जोड़ी गई है


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